Tuesday 17 June 2014

टेबुलेशन रजिस्टर से हटेंगे संदिग्ध परीक्षाफल


लखनऊ। वाराणसी के संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय प्रशासन ने संदिग्ध परीक्षा अभिलेखों को नए सिरे से बनाने की कवायद शुरू कर दी है। इस क्रम में पाच सदस्यीय कमेटी गठित की गई है। नए सिरे से बनने वाले टेबुलेशन रजिस्टर (टीआर) के हर पन्ने पर अब अधिकारियों के हस्ताक्षर व मुहर होंगे ताकि अभिलेखों की हेराफेरी न हो सके।
विश्वविद्यालय की कार्यपरिषद ने परीक्षा अभिलेखों में कटिंग, ओवर राइटिंग व पन्ने बदले जाने को देखते हुए वर्ष 1992 से 2009 तक तक के टीआर को संदिग्ध घोषित कर दिया था। इसके चलते उक्त अवधि के द्वितीय अंकपत्र, प्रमाणपत्र व सत्यापन सहित अन्य कार्य लगभग ठप सा हो गया है। इसे देखते हुए गत वर्ष परीक्षा समिति ने संगणक केंद्र से मिलान कर अभिलेखों के पुनर्मुद्रण का निर्देश दिया। बावजूद अभिलेखों के नवीनीकरण का कार्य नहीं शुरू हो सका। इसके पीछे परीक्षा अभिलेखों के दोनों प्रतियों में समानता का अभाव बताया जा रहा है। इसके अलावा तमाम परीक्षाफल का संशोधन अभिलेख के किसी एक प्रतियों में ही किए गए हैं। वहीं हजारों संशोधित परीक्षाफलों का विवरण कंप्यूटर में दर्ज ही नहीं हैं। अब इन समस्याओं का रास्ता निकाल लिया गया है। इसके तहत परीक्षा समिति ने जिन अभिलेखों कोई छेड़छाड़ नहीं हुई है उसे अपडेट करते हुए नए सिरे से प्रिंट कराने का निर्देश दिया है। साथ ही जाच कर संदिग्ध हजारों परीक्षाफलों को टीआर से हटाने का भी समिति ने निर्देश दिया है। संदिग्ध परीक्षाफल के बारे में बाद में कोई फैसला किया जाएगा।

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